सैटेलाइट फोन क्या है? क्यों यह बहुत महंगा है?

सैटेलाइट फोन…..
'सैटेलाइट फोन को सेटफोन के नाम से भी जाना जाता है,ये हमारे फोन्स की तुलना में अलग होते हैं। क्योंकि यह लैंडलाइन या सेल्युलर टावरों की बजाय सैटेलाइट (उपग्रहों ) से सिग्नल प्राप्त करते हैं'।
( चित्र सैटेलाइट फोन )
इनकी खास बात यह होती है कि इनके द्वारा किसी भी स्थान से काॅल किया जा सकता है। यह हर जगह उपयोगी साबित होते हैं चाहे आप सहारा मरुस्थल में ही क्यों न हों। कहा तो यह भी जाता है कि यह पानी के अंदर भी आसानी से सिग्नल प्राप्त कर सकने में समर्थ होते हैं।
सेटेलाइट फोन बस थोड़ा स्लो होते हैं (हमारे मोबाइल फोन के मुकाबले) यानी बातचीत के दौरान इसमें थोड़ी सी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इनके द्वारा भेजे गए सिग्लन को सेटेलाइट तक जाने और वहां से वापस लौट कर आने में ज्यादा समय लगता है।हालांकि यह कमी बहुत ही नगण्य है।
यह ज्यादातर आपदाओं के समय हमे काफी सहायक सिद्ध होते जब हमारे सिस्टम बहुत हद तक ख़राब हो गये होते हैं।
क्या हम सेटेलाइट फोन खरीद सकते हैं…..
भारत में सैटेलाइट फोन खरीदने के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं भारत ही नहीं हर देश में इसके लिए अलग अलग कानून बने हुए हैं। तीन कंपनियां इरीडियम, ग्लोबलस्टार और थराया सेटफोन सेवाएं देती हैं। इनमें इरीडियम की सेवा पूरी दुनिया में, ग्लोबलस्टार 80 प्रतिशत हिस्से और थराया की सेवाएं भारत, एशिया के अन्य हिस्सों, अफ्रीका, पश्चिम एशिया और यूरोप में हैं।
साफ अक्षरों में यह कहा जा सकता है कि सीधे सीधे हम सैटेलाइट फोन नहीं खरीद सकते। उसके लिए हमें अनुबंध करना पड़ेगा। और इसकी कीमत नेटवर्क कवरेज एरिया के हिसाब से तय की जाती है।
इसके काॅलिंग का खर्च प्रति मिनट 20 से 25 रुपए का आता है। और अभी हाल ही में बीएसएनएल ने 2017 में सैटेलाइट फोन की सेवा शुरू की थी, जिसमें उनके अनुसार उन्होंने विभिन्न डिपार्टमेंटों में 4,000 हेंडसेट बेचने का दावा भी किया था। दावे के अनुसार मार्च 2019तक 10,000 सेटफोन बेचे जाने का अनुमान था।
महंगा होने का कारण…
इन फ़ोन में नेटवर्क के लिए सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है,जो कि एक बेहद खर्चिली प्रक्रिया होती है। मेरे ख्याल से यह एकमात्र कारण ही बहुत है जो इसे इतना महंगा बनाता है



Comments