भारत का सबसे बड़ा ठग ! India's Biggest Con


दुनिया का सबसे बड़ा ठग, “MR. Natwarlal” जिसने किसी को नही छोड़ा..लालकिला ..ताजमहल को भी बेच डाला!!


वो एक ऐसा ठग जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया.
8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों का आरोपी रह चुका मिथिलेश कुमार उर्फ मिस्चर नटवरलाल था जो 8 बार अलग-अलग जेलों से फरार हो चुका था. एक ऐसा ठग जिसने ठगी के लिए राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम तक का इस्तेमाल किया. जानिए उस ठग के बारे में कुछ बातें…
1. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव से मिस्टर नटवर लाल बनने की दो कहानी है :
नटवरलाल के दो रूप
पहली कहानी बिहार के सीवान जिले के बंगरा गांव का रहने वाला मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, धनी जमींदार रघुनाथ प्रसाद का बड़ा बेटा था. मिथिलेश पढ़ने में एक एवरेज था. पढ़ाई से ज्यादा फुटबॉल और शतरंज में उसकी रूचि थी. कहते हैं कि मैट्रिक के परीक्षा में फेल होने पर मिथिलेश को उसके पिता ने बहुता मारा. उसके बाद नटवरलाल कलकत्ता भागकर आ गया. उस समय उसकी जेब में सिर्फ पांच रुपए थे. कलकत्ता में मिथिलेश ने बिजली के खंभे के नीचे पढ़ाई की. बाद में सेठ केशवराम नाम के एक बंदे ने मिथिलेश को अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रख लिया. मिथिलेश ने सेठ से अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पैसे उधार मांगे, जिसे सेठ ने देने से इनकार कर दिया. सेठ के इनकार करने से मिथिलेश इतना चिढ़ गया कि उसने रुई की गांठ खरीदने के नाम पर सेठ से 4 लाख ठग लिया.
दूसरी कहानी ये है कि एक बार मिथिलेश को उनके पड़ोसी सहाय ने बैंक ड्राफ्ट जमा करने के लिए भेजा. वहां जाकर मिथिलेश ने सहाय के हस्ताक्षर को हूबहू कॉपी कर लिया. उस समय मिथिलेश को पहली बार लगा कि वो जालसाजी का काम कर सकता है. उस दिन के बाद से मिथिलेश कुछ दिनों तक अपने पड़ोसी के खाते से पैसे निकालता रहा. जब तक मिथिलेश के पड़ोसी को इस बात का पता चला तब तक मिथिलेश अकाउंट से 1000 रुपए निकाल चुका था. पता चलने के बाद मिथिलेश कलकत्ता चला गया और वहां जाकर कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया. साथ ही शेयर बाजार में दलाली का काम करने लगा.
2. पहली ठगी शुरु की प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर :
नटवरलाल और राजीव गांधी
दिल्ली के कनॉट प्लेस पर सुरेंद्र शर्मा की घड़ी की दुकान थी. नटवरलाल सफेद शर्ट और पैंट पहने एक बूढ़े आदमी का रूप बना कर घड़ी की दुकान में गया था. खुद का परिचय वित्तमंत्री नारायण दत्त तिवारी का पर्सनल स्टाफ डी.एन. तिवारी बताया है. उसने कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी के सभी वरिष्ठ लोगों को समर्थन के लिए दिल्ली बुलाया है. जिस बैठक में वे सबको घड़ी उपहार में देना चाहते हैं जिसके लिए इन्हें 93 घड़ियां चाहिए. पहले तो दुकानदार ने विश्वास नही किया लेकिन इतनी घड़ी बिकने के लालच में उसने हां कर दी.
अगले दिन वो बूढ़ा आदमी घड़ी लेने दुकान पहुंचा. दुकानदार को घड़ी पैक करने की बात कह एक स्टाफ को अपने साथ नॉर्थ ब्लॉक (नॉर्थ ब्लॉक वो जगह है, जहां प्रधानमंत्री से लेकर बड़े-बड़े अफसरों का ऑफिस होता है) ले गया. वहां उसने स्टाफ को भुगतान के 32,829 रुपए का बैंक ड्राफ्ट दे दिया. दो दिन बाद जब दुकानदार ने ड्राफ्ट जमा किया तो बैंक वालों ने बताया कि वो ड्राफ्ट नकली बनाया गया है. फिर दुकानदार को समझ आया कि वो बूढ़ा आदमी नटवर लाल था.
3. नटवरलाल पर बनी फिल्म में अमिताभ बच्चन की फ़िल्म
नटवरलाल इतने शातिर ठग थे कि उसने 3 बार ताजमहल, दो बार लाल किला, एक बार राष्ट्रपति भवन और एक बार संसद भवन तक को बेच दिया था. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नकली साइन करके नटवर लाल ने संसद तक को बेच दिया था. नटवर लाल के 52 नाम थे, उनमें से एक नाम नटवर लाल था. सरकारी कर्मचारी बनकर नटवर लाल ने विदेशियों को ये सारे स्मारक भी बेचे थे. इसकी ठगी इतनी फेमस हुई कि ‘मिस्टर नटवर लाल’ फिल्म भी बन गई. साल 1979 में इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने इनका रोल निभाया है.
4. भारत का सबसे बड़ा ठग गरीबों का मसीहा बन गया
ठगी से ढेरों पैसे कमाने के बाद नटवर लाल तीन कार के काफिलों के साथ अपने गांव बंगरा पहुंच गया. गांव वालों ने नटवर लाल को पूरे रईस अंदाज में देखा. उसके इत्र की खुशबू मीलों तक फैल रही थी. नटवर लाल ने गांव में टेंट लगवाकर विशाल भोज करवाया और सबको 100-100 रूपये दिये. गांव के लोग नटवर लाल के ठगी पर कभी शर्मिंदा नहीं हुए. उन सबके हिसाब से नटवर लाल ने उन लोगों को शर्मिंदा करने वाला कोई काम नही किया था. वो बस भ्रष्ट लोगों को लूटता और गरीबों की मदद करता था.
5. जब नटवरलाल को सुनाई गई 100 साल की सजा
पचास और साठ के दशक में नटवरलाल ने देश के बड़े-बड़े जौहरियों, साहूकारों, व्यपारियों और नेताओं को ठगा था. जिसमें 8 राज्यों के 100 मामलों के केस दर्ज थे और नटवरलाल का नाम ‘मोस्ट वांटेड’ की लिस्ट में आ गया. सिंहभूम की अदालत ने नटवरलाल को 19 साल, दरभंगा की अदालत ने 17 साल की कैद और 2 लाख का जुर्माना और पटना के एक जज ने 5 साल की सजा सुनाई थी.
सिर्फ बिहार में नटवरलाल को 100 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई थी. अपने जीवन के 20 साल नटवरलाल ने जेल में बिताया है. साल 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दर्ज 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी. उस याचिका के हिसाब से नटवरलाल की मौत 25 जुलाई 2009 को हो चुकी थी…

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