नवाजुद्दीन सिद्दीकी के बारे में सबसे रोचक तथ्य ! Most interesting facts about Nawazuddin Siddiqui



नवाजुद्दीन सिद्दीकी (nawazuddin siddiqui facts) आज bollywood के उन सितारो मे गिने जाते है जिन्होने अपने कबीलीयत के दम पर अपना रुतबा हासिल किया है उन्होने आज वह मुकाम पाया है जो एक star kid के लिए भी नामुमकिन सा लगता है।
जहाँ एक ओर समझा जाता था की फिल्म मे हीरो बनने की लिए अच्छी शक्ल व गठीले बदन की जरूरत होती है वही नवजूद्दीन सिद्दीकी ने साबित किया है की हुनर के पीछे ये सब फीके पड़ जाते है। एक दिन छोटे से गाँव का यह लड़का इतना बड़ा स्टार बन जाएगा खुद उसे भी पता नही था आज हम इसी Bollywood star के कुछ मजेदार तथ्यों को जानेंगे ( Nawazuddin siddiqui interesting facts ).
Nawazuddin siddiqui Acting से पहले एक केमिस्ट कंपनी मे करते थे काम
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी University से बीएससी केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन करने के बाद सब की तरह नवाज़ भी नौकरी करना चाहते थे इसलिए उन्हे एक कंपनी में चीफ केमिस्ट के तौर पर काम भी मिल गया था पर वे यहाँ ज्यादा टिक नही सके लगभग 1 साल तक काम किया फिर उन्होने नौकरी छोड़ दी। इस समय तक उनके मन मे acting का ख्याल तक नही आया था।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का असली नाम नंबरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी है. उन्होंने अपना नाम फिल्मों में आने से पहले ही बदल दिया था.
काम की तलास ने पहुचा दिया दिल्ली
कहा जाता है की एक बार नवाज़ दिल्ली के एक थिएटर मे प्ले देखने गए हुए थे, प्ले देखने के बाद उनके मन मे भी Acting की लालसा होने लगी थी और धीरे-धीरे उन्होने ठान लिया था की वे एक्टिंग मे अपना करियर बनाएंगे। नवाज़ कहते है की शुरू से ही उनके मन मे कुछ क्रिएटिव करने का जुनून था इसलिए उन्होने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला ले लिया था। इस स्कूल मे दाखिला पाने के लिए नवाज़ ने दस नाटको मे अभिनय किया था ताकी स्कूल के कुछ criteria को पूरा किया जा सके
चौकीदार की नौकरी की पर नही छोड़ी Acting
दिल्ली मे रहते हुए उन्हे गुजर-बसर करने के लिए एक नौकरी की जरूरत थी इसलिए उन्होने चौकीदार की नौकरी को भी स्वीकारा। कहा जाता है की जब वे चौकीदार की नौकरी पाने के लिए गए तो उन्हे sequrity के तौर पर पहले कुछ रुपए रखने के लिए कहा गया उनके पास पैसे नही थे इसलिए अपने गाँव गए और अपने माँ के कुछ गहने गिरवी रख दिए ताकी सिक्योरिटी के पैसे भर सकें।
नवाज़ कहते थे की कई बार उन्हे कड़ी धूप मे खड़ा रहना पड़ता था जब वे थक जाते थे तो छाव मे जाकर बैठ जाते थे, इसका असर ये हुआ की कई बार सही जगह ना पाकर लोग इन्हे कामचोर समझने लगे और उन्हे आपने ये नौकरी छोडनी पड़ी।
सपनों मे पहुचाया मुम्बई
नवाज़ एक अभिनेता बनना चाहते थे इसलिए उन्होने मुम्बई का रुख अपनाया और अपने कुछ दोस्तो के साँथ मुम्बई आ पहुचे। लेकिन शायद वे यह नही जानते थे की यह से उनकी असली मुश्किले शुरू होंगी यही दौर था जब उन्हे कई rejection का सामना करना पड़ा। उनके साथ आए दोस्त भी वापस जाने लगे लेकिन नवाज़ नही जा सकते थे या जाना ही नही चाहते थे क्योकी अगर वापस गए तो वह मुकाम कभी हासिल नही कर पायेंगे जो उन्होने सोचा था इसके अलावा वापस पहुचने पर लोग भी मजाक बनाएंगे।
उन्होने एक interview मे कहा था की “भूंखा मरना है तो मुम्बई मे जा कर मरूँगा”
माँ ने दिया motivation
लगातार संघर्ष वाले दिन चल रहे थे कोई और होता तो शायद थककर हार जाता लेकिन नवाज पीछे नही हटने वाले थे कई बार उन्हे भी लगा की गाँव लौट जाना चाहिए लेकिन माँ हमेशा उनके साथ रही। माँ की एक बात हमेशा नवाज़ को आंगे बढ़ाती रहती थी वे कहती थी की12 साल में तो घूरे के दिन भी बदल जाते हैं बेटा तू तो इंसान है। नवाज़ हमेशा अपनी माँ को चिट्ठी लिखते थे और माँ उन्हे motivate करती थी।
सरफरोस मे मिला छोटा सा रोल
साल 1999 मे आई अमीर खान starr फिल्म सरफरोश मे पहली बार Nawazuddin siddiqui को acting करने का मौका मिला हालाकी यह सीन सिर्फ 40 second का था पर यह उनकी डेब्यु फिल्म थी। कहा जाता है सबसे पहले सरफरोश का रोल नवाज़ के दोस्त को मिला था लेकिन film set पर लेट होने की वजह से यह मौका नवाज़ के हांथों मे चला गया।
इसके बाद इसी साल उन्होने राम गोपाल वर्मा की फिल्म शूल मे काम किया इसके बार 2000 मे जंगल और 2003 मे मुन्ना भाई MBBS जैसी फिल्मों मे काम किया।
मनोज बाजपाई ने Acting करने से किया था मना
राम गोपाल वर्मा की फिल्म शूल मे नवाज़ को एक वेटर का छोटा सा रोल मिला था। लेकिन जब मनोज बाजपाई को यह बात पता चली तो उन्होने नवाज़ को वेटर का रोल करने से मना कर दिया क्योकी वे जानते थे की ऐसे छोटे किरदार नवाज़ के लिए नही बने वे इससे कही ऊपर है। उस समय Nawazuddin siddiqui पैसो की कमी से जूझ रहे थे इसलिए उन्होने हामी भर दी।
यह कहा जाता है की शूल मे काम करने के बाद उन्हे पैसे नही मिले थे इसलिए वे बार-बार पैसे माँगने जाया करते थे लेकिन उन्हे पैसे नही मिलते थे तो नवाज़ कहते थे की पैसे नही है तो खाना ही खिला दो इस तरह उन्होने कई दिन ऐसे ही गुजार दिए थे बिना पैसो के, बस खाना मिल जाता था।
पीपली लाइव से मिली पहचान
इतने संघर्षों के बाद आखिकार 2010 मे आमिर खान production की फिल्म पीपली लाइव मे उन्हे काम करने व हुनर दिखाने का अवसर मिला। इस फिल्म मे नवाज को एक पहचान मिली वे लोगो की नजारो मे आए और Bollywood मे काम मिलना थोड़ा आसान हो गया।
TV serial मे करना चाहते थे काम
मुम्बई आने के बाद नवाज ने ना सिर्फ फिल्मों मे TV Serials मे भी काम करने के लिए कई बार हाथ-पैर मारे लेकिन निराशा ही हांथ लगी। उनके पास NSD की डिग्री थी पर यह किसी के भी काम नही आ रही थी उनके चेहरे को देखकर हर बार reject कर दिया जाता था। कहा जाता है की एक असिस्टेंट डायरेक्टरने यह कह दिया था की अगर हमने आपको काम दिया तो आपके कालेपन की वजह से दो लाइटे आपके ऊपर लगानी पड़ेगी।
किराया देने के लिए नही होते थे पैसे
साल 2002 से लेकर 2005 तक का समय Nawazuddin siddiqui के लिए बहोत बुरा था। उन्हे काम नही मिल रहा था, पूरा दिन काम के लिए घूमते रहते थे और एक फ्लैट को चार लोग आपस मे share करते थे लेकिन 2004 मे उन्हे और दिक्कते होने लगी और फ्लैट छोड़ना पड़ा। वे अपने एक NSD senior के पास गए और उनके सांथ रहने का आग्रह किया पैसे नही थे इसलिए बदले मे senior ने शर्त रखी की खाना नवाज़ को बनाना पड़ेगा और वो मान गए।
miss Lovely मे पहली बार किया था KISS
नवाजुद्दीन सिद्दीगी ने स्वीकारा है की उन्होने अपना पहला kiss फिल्म मिस लवली की co-star निहारिका सिंह के सांथ किया था। इससे पहले उन्होने किसी लड़की को किस नही किया था यहा तक की उन्होने अपनी पत्नी को भी इस तरह कभी kiss नही किया था। miss lovely मे नवाज़ को lead किरदार को रोल मिला था। वैसे तो फिल्म 2012 मे ही बनकर तैयार हो गई थी पर कुछ कारनो से इसे 2014 मे रिलीज करना पड़ा।
गैंग ऑफ वासेपुर नही थी पहली लीड फिल्म
ज्यादातर लोग सोचते हैं की नवाजुद्दीन सिद्दीकी की गैंग ऑफ वासेपुर उनकी सबसे पहली लीड फिल्म थी। यह फिल्म साल 2012 मे आई थी लेकिन नवाज़ इसके पहले मिस लवली फिल्म कर चुके थे जो उनके करियर की पहली ऐसी फिल्म थी जिसमे उन्होने मुख्य अभिनेता का रोल निभाया था। मिस लवली विवादो के चलते सिनेमाघरों मे देरी से प्रस्तुत की गई थी।
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर का एक सीन है जिसमें नवाज हिमा कुरेशी के हाथ पर अपना हाथ रखते हैं। यह सीन नवाज की रियल जिंदगी से लिया गया है। नवाज कहते है की जब वे दिल्ली में थिएटर करते थे उस समय उन्होंने अपनी दोस्त की हाथ पर अपना हाथ रख दिया था और उनकी दोस्त ने उन्हे कहा था कि तुम ऐसे कैसे मेरा हाथ पकड़ सकते हो आपको परमिशन लेनी चाहिए जिसके बाद नमाज को अपनी गलती का एहसास होने पर रोने लगे थे।
मुम्बई आने से पहले देखी थी सिर्फ पाँच फिल्मे
लोग फिल्मे देखकर इंस्पायर होते है अपने पसंदीदा हीरो की नकल उतारते है पर नवाज़ ऐसे नही थी वे अक्सर सीसे के सामने खुद को देखकर acting किया करते थे क्योकी मुम्बई आने से पहले उन्होने अपने जीवन मे सिर्फ पाँच फिल्मे ही देखी थी।
नवाज़ की Acting देखकर इरफान खान रो पड़े थे
2009 मे आई कबीर खान की फिल्म न्यूयार्क मे नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने जेल मे बंद एक victim की भूमिका निभाई थी जो जॉन अब्राहम के सांथ पुलिस क्रूरता का शिकार होता है। इस रोल के लिए उनका ऑडिशन लिया गया था और वे एक बार मे ही सलेक्ट हो गए थी। जब इरफान खान को यह बात पता चली तो उन्होने इस ऑडिशन को देखने का आग्रह किया, इस ऑडिशन मे नवाज ने वही रोल किया था जिसमें वह कैटरीना कैफ को कैमरे पर अपनी कहानी बताते है यह दृश्य मे उनकी acting इतनी real थी की इरफान खान की आंखो मे आंखू आ गए थे।
बजरंगी भाईजान के लिए चाँद नवाब से की दोस्ती
कहा जाता है की जब Nawazuddin siddiqui बजरंगी भाईजान की shooting कर रहे थे तो फिल्म मे चाँद नवाब के रोल मे फिट होने के लिए वे असली पाकिस्तानी रिपोर्टर चाँद नवाब से बात किया करते थे और यही से उनकी दोस्ती भी हो गई थी। उस समय वे चाँद नवाब से लगभग हर दिन बात करते थे।
कहानी फिल्म मे पहली बार पहना था सूट
2012 मे आई फिल्म कहानी मे नवाज़ ने एक इंटेलिजेंस ब्यूरो इंस्पेक्टर का रोल निभाया था। इस फिल्म से उन्होने पहली बार सूट पहना था इसके पहले उन्होने कभी सूट का इस्तेमाल नही किया था। इसके अलावा नवाज के लिए ये एक नए तरह का किरदार था जिसे उन्होने पहले नही किया था इसलिए शूटिंग ख़त्म होने पर वो बहोत खुश हुए थे।
जब महिला फैन ने पहचानने से कर दिया था इनकार
कहानी फिल्म मे उनके किए गए किरदार को काफी पसंद किया गया था। इस फिल्म के कारण उनकी फैन following भी बढ़ गई थी, कहा जाता है की एक महिला फैन ने उनको i love you बोल दिया था और उनसे मिलने के लिए बुलाया। जब नवाब उस महिला से मिलने पहुचे तो महिला ने पहचानने से इनकार कर दिया क्योकी रियल जिंदगी मे वे बहोत अलग थे और वे महिला फिल्म के किरदार से प्यार कर बैठी थी।
जब नवाज़ ने आमिर खान को याद दिलाया
तलास फिल्म की shooting के दौरान नवाज़ ने आमिर खान को बताया की वे पहले भी साथ मे काम कर चुके है जिसे सुनकर आमिर चौक गए क्योकी उन्हे जरा भी याद नही था की वे पहले भी मिले है। पहली बार नवाज़ ने फिल्म सरफरोश मे आमिर के साथ एक छोटा सा सीन शूट किया था।
World Film Critic Roger Ebert से की दोस्ती
साल 2012 मे आई प्रशांत भार्गव की फिल्म Patang : The Kite का प्रीमियर Berlin International Film Festival और the Tribeca Film Festival मे हुआ था। इसमे नवाज़ के एक्टिंग को सराहा गया था जिसके चलते World Film Critic Roger Ebert नवाज के साथ लगभग एक सप्ताह रहे थे। Roger Ebert ने नवाज की फिल्म पतंग को रोज अवार्ड फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना था और यहीं पर दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई थी।
श्री देवी की फिल्म को बिना समझे ही कर दी थी हाँ
नवाज़ श्री देवी के बड़े फैन रहे है इसीलिए जब उन्हे मोम फिल्म का offer आया तो उन्होने कुछ सोचे बिना ही हाँ कर दी थी क्योकी वे उनके सांथ काम करना चाहते थे।
अकेले बैठना करते है पसंद
नवाज़ के करीबी बताते है की नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अकेले बैठना पसंद है वे कई बार ऐसे ही लोगो से बिना बात किए शांत बैठे रहते है।
Nawazuddin siddiqui आज कई युवाओ के लिए एक प्रेरणा है इनहोने अपनी काबिलियत के दम पर Bollywood के तीनों खान के सांथ काम किया है। आज कोई भी उन्हे उनके शक्ल से नही उनकी प्रतिभा से पहचानता है। इतने सालो तक लगातार मेहनत करने के बाबजूद जब उन्हे काम नही मिल रहा था तो वे वापस जा सकते थे लेकिन वे डटे रहे और आज Bollywood के चमकते सितारे कहे जाते है

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