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18 मई 1974 एक ऐतिहासिक दिन
आज
से 49 साल पहले जब भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को
चोंका दिया था , उस समय pm इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने यह करिश्मा
कर दिखाया तो अमेरिका भी हैरान रह गया ।
Pm ने इसे शांतिपूर्ण परीक्षण कहा वंही अमेरिका ने भारत को परमाणु सामग्री एवं ईंधन की आपूर्ति रोक दी व कई प्रतिबंध लगा दिए ।
आइये देखते है इस परीक्षण के कुछ रोचक अनजाने तथ्य :
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जीप के कारण परीक्षण में हुई देरी
18
मई के दिन परमाणु टेस्ट के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. विस्फोट
पर नज़र रखने के लिए मचान को 5 किमी दूर लगाया गया था. इसी मचान से सभी
बड़े सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक नज़र रखे हुए थे. आखिरी जांच के लिए
वैज्ञानिक वीरेंद्र सेठी को परीक्षण वाली जगह पर भेजना तय हुआ. जांच के बाद
परीक्षण स्थल पर जीप स्टार्ट ही नहीं हो रही थी. विस्फोट का समय सुबह 8
बजे तय किया गया था.
वक्त
निकल रहा था अतः सेठी को वापस आने के लिए मात्र 5 मिनट दिए गए और जीप
स्टार्ट न होने पर सेठी दो किमी दूर कंट्रोल रूम तक चलकर पहुंचे थे. इसके
पूरे घटनाक्रम के चलते परीक्षण का समय 5 मिनट बढ़ा दिया गया.
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7 साल की जमकर मेहनत
इस
टॉप सीक्रेट प्रोजेक्ट पर लंबे समय से एक पूरी टीम काम कर रही थी. 75
वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक 7 साल जमकर मेहनत
की. इस प्रोजेक्ट की कमान BARC के निदेशक डॉ राजा रमन्ना थे. रमन्ना की टीम
में तब एपीजे अब्दुल कलाम भी थे जिन्होंने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण
की टीम का नेतृत्व किया था।
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जब इंदिरा से मिली हरी झंडी
साल
1972 में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का दौरा करते हुए तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वहां के वैज्ञानिकों को परमाणु परीक्षण के
लिए संयंत्र बनाने की इजाज़त दी थी. लेकिन गांधी की ये इजाज़त मौखिक थी.
परीक्षण
के दिन से पहले तक इस पूरे ऑपरेशन को गोपनीय रखा गया था. यहां तक कि
अमेरिका को भी इसकी कोई जानकरी नहीं लग पाई. नाराज़ अमेरिका ने परमाणु
सामग्री और इंधन के साथ कई तरह के और प्रतिबंध लगा दिए थे. संकट की इस घड़ी
में सोवियत रूस ने भारत का साथ दिया.
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यह भारतीय परमाणु आयोग द्वारा किया गया पहला भूमिगत परीक्षण था जिसका कूटनाम 'स्माइलिंग बुद्धा' रखा गया ।
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यह परीक्षण पोखरण के बुद्ध स्थल पर किये गए ।
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