भारत और चीन के मध्य क्या विवाद है?




इसके लिए सबसे पहले हम 1950 का एक मैप देख लेते। है जिससे हमें पूरा विवाद समझ आएगा
दोनो चित्रों में आप तिब्बत को देखिए तब भारत से चीन की नही तिब्बत की सीमा लगती थी जो स्वयं एक देश था ,कितुं माओ ने। जब तिब्बत पर कब्जा कर लिया तो भारत का नया पड़ोसी चीन बन गया ।
● जब तिब्बत पर चीन का कब्जा हुआ तब दलाई लामा जो तिब्बत के लामा बौधों के धार्मिक गुरु के साथ राजनैतिक गुरु भी थे भागकर भारत आ गए साथ ही काफी मात्रा में लामा लोग भारत आये और अभी भी हिमाचल के धर्मशाला में निर्वासित सरकार वही पर है यह चीन में आज भी एक खतरे की तरह देखा जाता है क्योंकि आज भी तिब्बत में लामा की अपील बहुत है
● सीमा विवाद - यह दो मोर्चों पर है पूर्वी सीमा व पश्चिमी सीमा
—-पश्चिमी सीमा विवाद-
इसमे कश्मीर और हिमाचल का क्षेत्र आता है यहां 3 लाइन महत्वपूर्ण है वर्तमान जिस रेखा पर यथास्थिति है उसे LAC बोलते है कितुं भारत 1865 की जोनशन लाइन के आधार पर अपना अधिकार बताता है और चीन मैकडोनाल्ड लाइन 1899को 1959 तक मानता था अब नही स्वीकार करता इसको भी
●यहां प्रमुख विवाद निम्न क्षेत्रों पर है
सिया चीन, अक्साई चीन ,पोंग लेक
—–—पूर्वी सीमा विवाद
● यहां सीमा विवाद के लिए सिक्किम और अरुणाचल पर है कितुं 2003 में चीन ने सिक्किम को भारत का भाग में लिया जिससे वहां विवाद खत्म हो गया याबी अरुणाचल पर आते है
●यहां "मैकमोहन लाइन" 1914 के शिमला संधि से आई थी इस संधि में 3 पक्ष थे ,ब्रिटिश भारत , दक्षिणी तिब्बत(स्वायत्त क्षेत्र) , और चीन ( हस्ताक्षर नही किया)
● यहां वर्तमान में मैकमोहन लाइन ही है कितुं चीन स्वीकार नही करता है
● कितुं म्यामांर से समझौता में उसने मैकमोहन लाइन लो स्वीकार किया है
● इस क्षेत्र में तवांग क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है यह लामा बौधों का मठ है
● चीन अक्सर अरुणाचल के नागरिकों को चीन जाने पर स्टेपल वीजा देता है
भारत का डर
माओ की पाम एंड फिंगर पॉलिसी जिसके तहत तिब्बत हथेली है और लदाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान, अरुणाचल उसकी उंगलियां
● भूटान का चीन से कोई राजनैतिक सम्बंध नही है

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