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एक
युद्ध के बारे में बता रहा हु शायद अपने पढ़ा है कि नही एक बार की बात है
बाली ने श्री रामचंद्र जी को कुछ भला बुरा कह दिया, ये बाते हनुमान जी को
पता चली त वो गुस्सा हो गए । बाली भी युद्ध करना चाहता था हनुमान जी से।
दोनों राज़ी हो गए युद्ध के लिए अगले दिन युद्ध निर्धारण हुआ।
चूँकि
बाली को वरदान था कि कोई भी उनसे युद्ध करने आयेग तो उसकी आधी शक्ति उनको
मिल जाएगा इसलिए बाली को कोई भी युद्ध मे परास्त नही कर सकता था। सुबह हुआ
हनुमान जी युद्ध के लिए निकल पड़े रास्ते मे ब्रह्मा जी उनसे मिले वो बोले-
हे पवनसुत आप युद्ध तो करने जा रहे है लेकिन आप अपने शक्ति का 10वां हिस्सा
ही लेकर जाइये। हनुमान जी मान गए और ब्रह्मा जी को नमस्ते बोलै और युद्ध
के लिए चल पड़े।
जब
बाली और हनुमान जी आमने सामने आए तो चूँकि बाली के वरदान के कारण हनुमान जी
की आधी शक्ति बाली के शरीर मे जाने लगी, जाते ही बाली को बहुत गर्मी और
ऐसा की जैसे कोई उसके शरीर को दबा रहा है और इस दबाव के कारण बाली का दम
घुटने लगा, जैसे कि अभी प्राण निकल जायेगा बाली समझ गए ये कोई आम आदमी नही
कोई भगवान है जिनकी शक्ति मुझमे धराड़ करने की शक्ति नही है। बाली नतमस्तक
होकर बोले हे प्रभु आप किसके अंश है। फिर हनुमान जी ने बताया ये बस भगवान
राम जी की भक्ति के कारण है।
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