अमेरिका F22 रैपटर किसी भी देश को क्यों नही बेचता ! Why does not the US F22 Raptor sell any country

अमेरिका F22 रैपटर किसी भी देश को क्यों नही बेचता ! Why does not the US F22 Raptor sell any country


ये बड़ी अजीब बात है कि अमेरिका F35 लाइटनिंग जैसा उन्नत टेक्नोलॉजी से लैस विमान अपने कई मित्र देशों को बेचने के लिए तैयार है पर उससे पुराना विमान F22 रैपटर किसी भी देश को बेचने के लिए तैयार नही है।
F22 रैपटर अमेरिका के बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक है। तकनीकी दृष्टिकोण से F22 एक बहुत उन्नत विमान है। अमेरिका का मित्र देश जापान अपने क्षेत्र में चुनौतियों को देखते हुए F22 रैपटर की माग लगभग 1 दशक से कर रहा है पर अमेरिका जापान को भी इन जेट को नही बेचना चाहता।
यहाँ आपको बता दूं कि जापान ऐसा देश है जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने एक ऐसा संविधान दिया है कि वो अपनी सेना और सैन्य शक्ति का विकास नही कर सकता। इस नज़रिए से अमेरिका का फर्ज़ बनता था कि अमेरिका जापान की सैन्य सहायता के लिए हमेशा तैयार रहे।
तो आखिर क्यों अमेरिका इतने अच्छे विमान नही बेचना चाहता?
  • F22 रैपटर एक 5वी पीढ़ी का स्टेल्थ विमान है। जो डबल इंजिन के साल बहुत लंबी दूरी के मिशन के लिए उपयुक्त है। बहुत कम देश के पास ऐसी ताकत है। वर्ष 2005 से अमेरिकी एयरफोर्स में आने के बाद इसने वायुसीमा में जो दबदबा बनाया है इसके समानांतर कोई और विमान नही था। इसलिए लगभग 1 दशक तक ये बेताज़ बादशाह रहा। बेताज़ इसलिए भी क्योंकि इसके टक्कर में कोई विमान आया ही नही जो इसका प्रतिद्वंद्वी बन सके तो इसकी असली लड़ाई हुई ही नही।
  • F22 रैपटर ने पहली उड़ान 1997 में भरी थी और उस समय जो राडार, एवियोनिक्स, सैन्य साज़ो सामान इसमे लगे थे वो बहुत एडवांस थे। अमेरिका नही चाहता था कि किसी अन्य देश के पास उनकी सबसे उन्नत तकनीक हो। अब वो पुराने हो गए है और उसका बेहतर संस्करण F35 आ गया है। हालांकि F35 में बहुत सी तकनीकी खामियां हैं इस वजह से अमेरिकी वायुसेना के लिए अब भी F22 रैपटर एक बेहतर विकल्प है।
  • जापान को या किसी अन्य देश को अगर अमेरिका आज यह बेचना चाहे तो उसे उसका इलेक्ट्रॉनिक्स बदलना पड़ेगा, अब जो कलपुर्जे आते है वो एक अलग मानक पर बनते है। अलग मानक पर बनने के कारण वो छोटे और मज़बूत है जिससे वजन और वायुयान की स्थिरता में असर पड़ता है। एक और कारण है कि जब नई एलेक्ट्रॉनिक्स लगेगी तो उसका फ्लाइट सॉफ्टवेयर भी नया हो जाता है। इस तरह यह प्लेन इन बदलावों के बाद F22 रैपटर नही रह जायेगा।
  • F22 रैपटर अपनी स्टेल्थ (राडार से छुपने) कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। एक्सपर्ट बताते है कि F22 रैपटर राडार पर Radar Cross Section (RCS)[2] बहुत कम दिखाता है। जिस वजह से यह अदृश्य ही मालूम होता है। एक F22 राडार पर एक वॉलीबॉल की भांति दिखता है जिससे इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। इस वजह से भी अमेरिका चिंतित रहता है और F22 नही बेचना चाहता।
  • 2011 तक 195 यूनिट बनाये गए पर बाद में बदलते भू-राजनैतिक परिस्थितियों के कारण इनका उत्पादन बंद कर दिया गया। अब इस प्रोग्राम को फिर से चालू करने में अलग ख़र्चा पड़ेगा। ये ख़र्चा कोई भी देश नही उठाना चाहेगा।
अब अमेरिकी सरकार ने जापान से कहा है कि वो F35 और F22 के उम्दा तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रख कर एक नया हाइब्रिड विमान बनायेगी जो F22 और F35 से बेहतर होगा।
क्या भारत को ऐसे विमान की ज़रूरत है?
आज के युग मे जब चीन जैसा ख़तरनाक पड़ोसी हमारे पास हो फिर दूर के दुश्मनों की जरुरत नही। आज हमें तत्काल ज़रूरत न हो पर आने वाले दिनों में ज़रूरत पड़ सकती है। ख़ैर हमारे पास अब dassault का राफेल विमान है। आपको जानकर ख़ुशी होगी कि राफेल में ऐसे एलेक्ट्रॉनिक लगे है जो F22 रैपटर जैसे विमान को भी पकड़ लेता है। एक ट्रेनिंग एक्सरसाईज़ में राफेल ने F22 पर मिसाइल लॉक किया था।

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