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औरतें प्रेम करने के लिए बनी हैं, समझने के लिए नहीं।
– ऑस्कर वाइल्ड -
औरतों की रहस्यताओं पर विराम लगाता हुआ यह कथन काफ़ी हद तक सही प्रतीत होता है। औरत से प्रेम करो आपको उनको समझने की ज़रूरत ही ख़त्म हो जाएगी। समझ के करना क्या है? क्यूँ जटिलता बढ़ाएँ? प्रेम करो बदले में प्रेम पाओ। आदर दो, आदर पाओ। संक्षेप में दिल लगाओ, दिमाग़ मत लगाओ। जीवन को आसान बनाओ।
पर चूँकि दुनिया है, लोग हैं, सोचें हैं, भिन्नता है तो जीवन इतना आसान भी नहीं जान पड़ता है। हर व्यक्ति की भिन्न भिन्न विचारधारा है। औरत के व्यक्तित्व की जटिलताओं के बारे में इतना ज़्यादा लिखा गया है कि वो ब्रह्माण्ड का सफ़र पूरा कर के आने जैसा है।
औरत का व्यक्तिव वो जहाँ निवास करती हैं उस देश व काल के अनुसार परिभाषित होता है। भारतीय महिलाएँ भी भिन्न नहीं है उनकी भी कुछ व्यक्तिपरक विशेषताएँ हैं। आइए उनके व्यक्तित्व के पहलुओं पर तथ्यपरक नज़र डालते हैं। इनमें कुछ तथ्य देसी हैं तो कुछ तथ्य सार्वभौमिक।
कुर्सी की पेटी बाँध लीजिए, सफ़र लम्बा व उतार चढ़ाव वाला है।
- दुनियादारी की समझ में ये पुरुषों को भले परिपक्व मान लें, भावनात्मक समझदारी में इनको पुरुष आश्चर्य जनक रूप से अपरिपक्व लगते हैं। पुरुषों के IQ पर इनको शक नहीं पर जहाँ बात उनके EQ की आती है तो ये औरतों के मन में एक बड़ा प्रश्न छोड़ जाती है।
- पुरुष चाहे बोल भी ले कि वो सुन्दर दिखती है, वो ख़ुद को कभी सुन्दर नहीं मानती, सुंदरता का मानदण्ड इनका पुरुषों की सोच से दोगुना होता है। हालाँकि यह सुनना इन्हें हमेशा प्रसन्नता देता है।
- मेकअप प्रेम इनका किसी से छिपा नहीं है, आजकल लड़कियों में सटल मेकअप ज़्यादा फ़ैशन में है। पर ये सटल मेकअप कर ने वाली भी सोशल साइट्स पर अपनी डीपी को किसी मोबाइल ब्यूटी ऐप से मेकअप करके फिर ही अपलोड करती हैं। समस्त मोबाइल कम्पनियों का अपनी कैमरा ऐप में ब्यूटिफ़ाई मोड देना औरतों की सुन्दर दिखने की चाहत को भुनाना है।
- पुरुषों की तुलना में इन्हें आपस में बातें करना बेहद पसन्द होता है और टॉपिक अगर शॉपिंग का हो तो वो घंटो बात कर सकती हैं। इन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों से सम्बन्धित बातों को अपने पार्ट्नर से साझा करना अच्छा लगता है हालाँकि ये बात भी सच है कि पुरुष के साथ जब ये होती हैं तो एक अच्छी श्रोता होती हैं।
- पुरुष हो या स्त्री अपने पार्ट्नर से नज़रअन्दाज़ होना किसे पसन्द होता है? भारतीय महिलाओं को अपने पार्ट्नर से नज़रअन्दाज़ होना सख़्त नापसन्द होता है। प्यार करो, नफ़रत करो, पर बात तो करो, वो झुंझला जाती हैं।मैं हूँ, इधर मेरी तरफ़ देखो!
- भारतीय महिलाओं को दुगुना ज़्यादा ग़ुस्सा आता है पुरुषों के मुक़ाबले, ज़ाहिर हालाँकि उनका आधा ही करती हैं। या यूँ कहिए ये बस घूँट पी के रह जाती है। कभी कभी इनकी तरफ़ से ये जो अजीब तीव्र प्रतिक्रियाएँ आती हैं वो इनके दबे ग़ुस्से का ही परिणाम होती हैं।
- ये पुरुषों का चेहरा पढ़ने में उस्ताद होती हैं, उनका झूठ जल्दी पकड़ लेती हैं। ख़ासकर अपने पार्ट्नर की किसी अन्य औरत की ओर उठती नज़र को ये जल्दी भाँप लेती है, नज़रंदाज़ करने का दिखावा ये अच्छे ढंग से जानती हैं। यह भी है की किसी अन्य पुरुष की ख़ुद की तरफ़ उठती नज़र को ये अपने माथे के पिछले हिस्से में बनी भगवान प्रदत गुप्त तीसरी आँख से पढ़ लेती हैं।
- भारतीय लड़कियाँ एक निश्छल प्यार को मिस करती है, कि कोई हो जो बस उसको विशेष महसूस कराए। जी नहीं वो हमेशा स्वार्थी नहीं है। इस में अच्छी बात यह की वो ख़ुद भी उसे वैसा ही महसूस कराने की चाहत रखती है। बस इतना कि पहल पुरुष द्वारा किए जाने की चाहत रखती हैं।
- शॉपिंग कर के उनका मूड फ़्रेश हो जाता है। इनके आँखों की चमक देखते बनती है।पैसे हमेशा कम होते हैं इनके पास अगर पैसे 10 चीज़ों के होते हैं, प्लैनिंग 25 चीज़ों की होती है उनके मन में।
- बाल, भारतीय महिलाओं के बाल चूँकि साधारणतया लम्बे होते हैं तो इनको अपने बालों की बहुत टेन्शन रहती है ये बालों को अपने स्त्रीत्व का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा समझती हैं जितना अपने वक्षस्थल को। हेयर स्टाइल पर अलग अलग प्रयोग करना इनकी चाहत होती है।
- इनको रंगों में प्रयोग करना अच्छा लगता है। इन में रंगों की समझ पुरुषों के मुक़ाबले तीन गुनी होती है।
- दुनिया की अन्य महिलाओं के मुक़ाबले ये पिरीयड्ज़ में ज़्यादा इरिटेट होती है कारण क्यूँकि यहाँ भारत में पिरीयड्ज़ को लेकर कई भ्रान्तियाँ फैली हुई हैं।
- ये अपने आपको जज किया जाना बिलकुल पसन्द नहीं करती क्यूँकि ये भी पुरुषों को भी जज किए जाने को प्राथमिकता नहीं देती हैं। कई बार इनका ज़ोर से चिल्लाने का मन करता है “हम जैसी हैं, हमें रहने दो”
- भारतीय पुरुषों का इनके करियर के बारे में सलाह देना इनको बिलकुल पसन्द नहीं होता। क्यूँकि वो इन पर पुरुषोचित विचार थोपते हैं
- इस में कोई संदेह नहीं कि भारतीय महिलाएँ पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा अच्छी मल्टीटास्कर होती हैं
- चूँकि ये पुरुषों को ज़्यादा चालाक समझती हैं तो ये दुकानदारों से बार्गनिंग कर के ही चीज़ें लेना पसंद करती है।
- ये पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा फल ऐंव सब्ज़ियों का सेवन करती हैं।
- भारतीय महिलाओं को को अगर दोनों में एक चुनने को कहा जाए कि आरामपसन्द जीवन या अन्दाज़ भरा जीवन? वे अन्दाज़ भरा जीवन जीना ज़्यादा पसन्द करती हैं।
- ये अपने बड़ों का सम्मान व छोटों से स्नेह पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा करती हैं।
- शादी! यह शब्द इन में तीव्र भावनाएँ जगाता है, वो भावना सकारात्मक या नकारात्मक कुछ भी हो सकती है।
- भारतीय महिलाएँ उस पुरुष को पसन्द नहीं करती जो हमेशा इनकी हाँ में हाँ मिलाए।एक हद तक ये विचारों में मतभेद को स्वस्थ मानती है। इन्हें कहीं अच्छा लगता है कि पुरुष इन पर अधिकार जमाए बशर्ते वो इनके लिए प्रेम व आदर बनाए रखे।
- पुरुष इनको भी आकर्षक व्यक्तित्व वाले ही पसन्द आते हैं पर उनको देख कर मन ही मन कुछ ऐसा सोचती हैं “ये कुttा होगा, मिल भी गया तो मुझे पूछेगा नहीं”
- जो लड़के दिखने में औसत होते हैं वे मानती है कि ये ज़्यादा टिकाऊ होगा। पुरुष द्वारा रिश्ता निभाने को उसके अच्छे दिखने से ज़्यादा वरीयता देती हैं।
- इनका ब्रेकप हो या तलाक़, वजह चाहे कुछ भी रही हो, इनके लिए अपने समूह में बहुत शर्मिंदगी का कारण होता है, ऊपर से कितनी भी मज़बूत दिखें पर इनका आत्मविश्वास बुरी तरह हिल जाता है।
- ये पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा मानसिक अकेलापन महसूस करती हैं, और जीवन में अकेले जीने का एहसास इन में भय पैदा कर देता है। इन्हें एक साथी की ज़रूरत हमेशा होती है जिस पे वो अन्धा विश्वास कर सके। वो एक पुरुष भी हो सकता है या इनकी महिला मित्र भी। इनके जीवन में एक विश्वास योग्य साथी की कमी होना इन में अत्यंत मानसिक तनाव पैदा करता है।
- ये बाहर से दिखने में कितनी भी आधुनिक हों, तेज़ तर्रार प्रतीत हों, अन्दर से ये सरल हदय की होती हैं, इंसानियत इन में पुरुषों के बनस्पित ज़्यादा होती है।
- इनके पार्ट्नर का वज़न यदि औसत से ज़्यादा हो, तोंद भी थोड़ी बाहर हो तो ये उसको वैसा बनाए ही बनाए रखना चाहती हैं, फिर बाहर से भले ही कभी बोल लें की वज़न कम करो। पार्ट्नर का इनसे ज़्यादा फ़िट होना इनको असुरक्षित महसूस कराता है। मेरे एक परिचित ने जिम में 18 किलो वज़न किया, वो अपनी बिल्डिंग में रात्रि को भोजन पश्चात सैर करते थे, उनकी पत्नी ने एक दिन उनका रात्रि का सैर करना ही बंद करा दिया सिर्फ़ एक बात पर की बिल्डिंग की एक अन्य औरत ने उनकी तारीफ़ में पत्नी से बोला की भैया कितने फ़िट हो गए हैं।
- मन में हमेशा मानती है कि उसके पार्ट्नर को उसका एहसानमंद होना चाहिए कि मैं इनको मिली हुई हूँ।
- इन्हें इनकी मेड की टेन्शन पति से रिश्ते निभाने से भी ज़्यादा होती है, कि ये टिकी रहे। इनके पाक अंतर्मन के अनुसार एक अच्छी मेड पति से दोगुनी बेहतर होती है।
- फ़िल्मों की बात करें तो इन्हें वो पसन्द आएगी, मिसाल के तौर पर, जिन में लड़का लड़की के लिए जान दे दे, जैसे आशिक़ी 2 और वो नापसंद जिसमें लड़की अंत में ख़ुद मर जाए, जैसे रॉक्स्टार.
- रामायण में माँ सीता का अग्निपरीक्षा वाला प्रसंग इन के मन में भगवान राम के लिए तल्ख़ी भर देता है। राम ने सीता, अपनी पत्नी की मर्यादा बचाने के लिए और उन्हें फिर से पाने के लिए ही तो समस्त लंका व रावण का सर्वनाश कर दिया था, नहीं तो एक साधन रहित वनवासी को किसी अन्य देश के शक्तिशाली राजा रावण से दुश्मनी लेने की ज़रूरत ही क्या थी? यह तर्कसंगत बात आश्चर्यजनक किन्तु सत्य ढंग से इनसे नज़रंदाज़ हो जाती है। यह तो एक छोटा उदाहरण था पर भारतीय औरतों के इस प्रकार के विचारों के चलते ही यहाँ के पुरुष अक्सर बोल पड़ते हैं कि “कितना भी कर लो इनके लिए, ये कभी ख़ुश नहीं रहेंगी”. या फिर “इनको चाहिए क्या, इन्हें ख़ुद ही नहीं मालूम है”।
भारतीय महिलाओं के कुछ एकदम नकारात्मक तथ्य भी हैं जिनका ज़िक्र यहाँ नहीं किया गया है। कारण कि वो तथ्य समाज में इनके प्रति उपेक्षा व प्रचलित बाज़ारवाद के चलते उपजे हैं।
भारतीय महिलाओं की सबसे अच्छी बात
ये दिल से ऐसा मानती हैं कि पुरुष इनसे बेहतर व्यवहार करें तो ये अपनी जान तक उनका साथ देंगी। अगर पुरुष स्नेह से इनकी तरफ़ दो क़दम आगे बढ़ाए तो ये दस क़दम आगे चल के आएँगी। रिश्ता निभाने की क़ाबिलियत इन में पुरुषों से चार गुना ज़्यादा होती है।
इन्हें पुरुषों की तरक़्क़ी से कोई परेशानी नहीं है, इन्हें अच्छा लगता है जब इनका पार्ट्नर तरक़्क़ी करता है, पुरुष इन से आगे रहे बस इनको भी इनकी पसन्द की आज़ादी मिले।
यह बात ध्यान रखने योग्य है कि औरतें सिर्फ़ प्रेम नहीं चाहती, एक आदर सहित प्रेम की ही ये पुरुषों से अपेक्षा रखती हैं। सभ्यता जो पहले जंगलों से शुरू हो कर आज अगर एक समाज में परिवर्तित हुई है तो उसका मूल कारण औरत व उसके स्त्री सुलभ गुण ही है।
वो कहते हैं ना...
महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार होती हैं।
इति!
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