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ऐसा इसलिए है क्योंकि जैन कम से कम जीवों को हानि पहुँचाना चाहते हैं ।
आम
तौर पर जैन आलू, प्याज़, लहसुन आदि जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियां नही
खाते क्योंकि इनमें बहुत जीवाणु होते हैं, कुकुरमुत्ता का भी त्याग इसलिए
किया जाता है क्योंकि वह मेरे हुए जीवों पे उगता है ।
शहद भी इसलिए नही खाया जाता क्योंकि उसे निकलते हुए मधुमखियों को हानि होती है और उनका छत्ता टूट जाता है ।
अतः वो सारी चीज़ें जो कि किसी भी तरह से प्राणियों की मृत्यु से जुड़ी हो वह नही खाई जाती ।
अब
इस से पहले की आप मुझसे पूछें कि बाकी पेड़ पौधों को खाने में भी तो उनकी
मृत्यु होती है, मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की जैन चाह कर कम से कम
प्राणियों को दुख देना चाहते हैं ।
हुम गृहस्त जीवन में सब कुछ त्याग कर तो नहीं रह सकते ना। इसलिए पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुँचाना चाहते हैं।
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